How are Rajya Sabha members elected
दोस्तों आज की पोस्ट हमारी बाकि पोस्ट से बिलकुल हटकर है क्योकि आज हम आपको राजनीति के पद या पोस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं | प्रतियोगी छात्रों के लिए ये पोस्ट बहुत अहम् है | आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि राज्य सभा सांसद कैसे बनते हैं – कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सांसद – राज्य सभा सांसद बनने की विधि क्या है – How to be a members of the Rajya Sabha | Rajya Sabha ka election kaise hota hai| संविधान के अनुसार भारत की संसद के तीन अंग हैं – राष्ट्रपति (President), राज्यसभा (Council of States) व लोकसभा (House of the People)।
राष्ट्रपति (President)
राष्ट्रपति देश का ‘प्रथम नागरिक’ होता है। राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की ‘एकल संक्रमणीय मत पद्धति’ के द्वारा होता है।
लोकसभा (House of the People)।
यहसंसद का दूसरा सदन है, इसे ‘निम्न सदन’ या ‘लोकप्रिय सदन’ भी कहते हैं। इसके सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रीति से किया जाता है। देश का प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष की आयु को पूर्ण कर चुका है, वह मतदान करने का अधिकारी है (61वें संविधान संशोधन अधिनियम 1988 द्वारा मतदान की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया है)। संविधान में लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 निर्धारित की गयी है, इसमें से 530 सदस्य प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से और 20 सदस्य संघशासित क्षेत्रों से चुने जा सकते हैं, इसके अतिरिक्त यदि राष्ट्रपति को यह आभास हो कि आंग्ल-भारतीय समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह इस समुदाय से 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है।
भारतीय संसद – राज्य सभा (Council of States) :
राज्य सभा सांसद कैसे बनते हैं – कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सांसद ये जानने से पहले चलिए राज्य सभा के बारे में कुछ जानकारी हासिल करते हैं | यहराज्यों की परिषद् है, जिसके माध्यम से संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है। राज्यसभा अप्रत्यक्ष रीति से लोगों का प्रतिनिधित्व करती है, क्योंकि इसके सदस्यों का निर्वाचन राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है। राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन में आनुपातिक पद्धति के अनुसार ‘एकल संक्रमणीय मत प्रणाली’ (Single Vote Transferable System) का प्रयोग किया जाता है। संविधान में राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या निर्धारित की गयी है। इसमें से 238 राज्यों व संघ-राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि हो सकते हैं। परन्तु वर्तमान में राज्यसभा में 245 हैं, जिसमें 229 सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि 4 संघराज्य क्षेत्रों के और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते हैं। राज्यों की जनसँख्या असमान होने के कारण राज्य सभा में उनका प्रतिनिधित्व असमान है, राज्यसभा में उत्तर प्रदेश से जहाँ 31 प्रतिनिधि हैं, वहीं त्रिपुरा से मात्र एक प्रतिनिधि है (अमेरिकी सीनेट में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त है न कि भारत की भांति जनसँख्या के आधार पर)। संघशासित क्षेत्रों में से सिर्फ दो (दिल्ली व पुद्दुचेरी) को प्रतिनिधित्व प्राप्त है और अन्य पांच की जनसँख्या तुलनात्मक रूप से कम होने के कारण उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं प्राप्त है।
तो चलिए अब विस्तार से जानते हैं कि राज्य सभा सांसद कैसे बनते हैं – कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सांसद
राज्यसभा का गठन 23 अगस्त 1954 को हुआ था और इसे एक स्थायी सदन का दर्जा प्राप्त है। जहां लोकसभा हर पांच साल में भंग हो सकती है, वहीं राज्यसभा कभी भंग नहीं होती। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार, राज्यसभा में कुल 250 सदस्य हो सकते हैं:
राज्यसभा चुनाव इनडायरेक्ट इलेक्शन के माध्यम से होता है, जिसमें केवल राज्य के विधायक भाग लेते हैं। विधान परिषद के सदस्य इसमें मतदान नहीं कर सकते।
मान लीजिए उत्तर प्रदेश की बात करें जहां 11 सीटों पर चुनाव होना है, तो फॉर्मूला होगा:
(विधायकों की कुल संख्या) ÷ (सीटें + 1) = जीत के लिए आवश्यक वोट
उदाहरण:
403 ÷ (11+1) = 33.58 (अर्थात एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 34 वोट चाहिए)
विधायकों की संख्या के आधार पर तय किया जाता है कि किस पार्टी के कितने उम्मीदवार आसानी से जीत सकते हैं। बाकी सीटों के लिए जोड़-तोड़ और क्रॉस वोटिंग की संभावनाएं रहती हैं।
राज्यसभा में हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सीटें उस क्षेत्र की जनसंख्या के अनुसार निर्धारित की जाती हैं। इसलिए बड़े राज्यों की सीटें अधिक होती हैं, जबकि छोटे राज्यों की कम।
राज्यसभा के चुनाव हर दो साल में होते हैं क्योंकि हर दो साल में सदन के एक-तिहाई सदस्य रिटायर होते हैं। उनके स्थान पर नए सदस्य चुने जाते हैं। एक बार चुना गया सदस्य छह साल तक राज्यसभा का सदस्य रहता है।
निष्कर्ष:
राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया तकनीकी हो सकती है, लेकिन इसका लोकतंत्र में विशेष महत्व है। यह सदन न केवल विधायी कार्यों में भाग लेता है, बल्कि राज्यों की आवाज़ को भी राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करता है।
पिछले लंबे समय से देश के राजनीतिक हलकों में राज्यसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी रही है। हर राजनीतिक दल अपनी जीत को लेकर कोई भी दांव आजमाने से परहेज नहीं कर रहा था । वहीं, आम आदमी की भी इन चुनावों को लेकर उत्सुकता बनी हुई रहती है, लेकिन ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होगा कि आखिर राज्यसभा सांसदों का चुनाव होता कैसे है। तो आइए, हम करते हैं आपकी जिज्ञासा का समाधान….।
हर दो साल बाद होता है चुनाव
राज्यसभा संसद का सर्वोच्च सदन है। लोकसभा में पास हुआ कोई भी विधेयक तब तक कानून नहीं बन पाता जब तक राज्यसभा उसे दो तिहाई बहुमत से पास न कर दे। इसलिए राज्यसभा में बहुमत किसी भी केंद्र सरकार के लिए अहम होता है। राज्यसभा में कुल 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि प्रेसीडेंट अधिकतम 12 सदस्य नॉमिनेट कर सकते हैं। इनमें से हर 2 साल में एक तिहाई सदस्यों का कायऱ्काल खत्म होता है, इसलिए उतनी सीटों के लिए चुनाव होते हैं।
इस बार 58 सीटों के लिए चुनाव
इस बार राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 15 राज्यों से सदस्य चुने जा रहे हैं। राज्यसभा में किस राज्य से कितने सदस्य होंगे, इसका फैसला राज्य की जनसंख्या के हिसाब से होता है। इसीलिए राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य वोट डालते हैं, लेकिन राज्यसभा के चुनाव की प्रक्रिया बाकी सभी चुनावों से काफी अलग होती है।
ऐसे समझें पूरी प्रक्रिया
इसे समझने के लिए उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधायक हैं और यहां से 11 राज्सयभा सदस्यों का चुनाव होना है तो हर सदस्य को कितने विधायकों का वोट चाहिए ये तय करके लिए कुल विधायकों की संख्या को 11 सीटों में 1 जोड़कर विभाजित किया जाता है यानी 403 बटा 12 यानी 33 और फिर इसमें 1 जोड़ दिया जाता है यानी 34। मतलब ये हुआ कि यूपी से किसी भी सदस्य को राज्यसभा पहुंचने के लिए कम से कम 34 वोटों की जरूरत होगी।
विधायक के प्राथमिकता वोट का अहम रोल
यही नहीं हर विधायक अपना वोट प्राथमिकता के हिसाब से देता है. मतलब अगर 12 उम्मीदवार मैदान में हैं तो हर विधायक को बताना होगा कि उसकी पहली पसंद कौन है दूसरी पसंद कौन और इसी तरह सभी 12 उम्मीदवारों के लिए अपनी प्राथमिकता बतानी होगी। इस तरह से जिस उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता के 34 वोट मिल गए वो जीत जाता है और जिसे नहीं मिलते उसके लिए चुनाव होता है।
इसलिए होती है जोड़तोड़
प्राथमिकता वाले वोट को लेकर ही राजनीतिक दलों में जोड़तोड़ होती है। जैसे यूपी में कांग्रेस के 29 विधायक हैं और उसे अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने के लिए 5 और विधायकों के वोट चाहिए। ये वोट या तो किसी दूसरी पार्टी के बचे हुए पहली प्राथमिकता के वोट होंगे, वो भी नहीं हुआ तो फिर उस उम्मीदवार के लिए दूसरी प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाएगा। यही वजह है कि जहां चुनाव की नौबत आती है वहां इतना जोड़-तोड़ होता है और निर्दलीय उम्मीदवार भी दोनों तरफ़ के एक्सट्रा वोटों से किस्मत आजमा लेते हैं।
दोस्तों अब आपको पता चल गया होगा कि राज्य सभा सांसद कैसे बनते हैं – कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा के सांसद| एक बात और बताना आवश्यक है कि राज्य सभा को उच्च सदन भी कहा जाता है
तो अगर आप भारतीय नागरिक हैं और राजनीति में रूचि रखते हैं या फिर आप प्रतियोगी छात्र हैं तो ये जानकारी आपके लिए बहुत काम की है |
अगर आप को हमारी ये पोस्ट पसंद आई तो प्लीज शेयर और लाइक ज़रूर करें |
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने आज, 14 जून 2025 को NEET-UG Result UG 2025 का…
दोस्तों आज की पोस्ट का विषय है- Radio Jockey कैसे बने , Radio jockey Career After…
PCS Ke liye best book - दोस्तों अधिकतर मित्रों का यह प्रश्न रहता है कि…
दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको केंद्रीय पुलिस कोर्स (CPF) के एक बल…
दोस्तों आपने IAS और PCS के बारे में अवश्य सुना होगा मगर क्या आप जानते…
दोस्तों आपने अकसर समाचार और सुर्खियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई FDI का नाम सुना…
View Comments
Very nice to the point tha overview
nice
Bahut sahi se bataya bhai