दोस्तों इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं कि विधेयक और अधिनियम में क्या अंतर होता है| Difference Between Bill and Act In India. What is Bill and What is Act. बिल क्या है और एक्ट क्या है- विधेयक किसे कहते हैं और अधिनियम किसे कहते हैं| दोस्तों राजनीतिक गलियारों में और समाचार पत्रों तथा न्यूज़ की सुर्खियों में विधेयक और अधिनियम के बारे में कई बार चर्चा होती रहती है| एक भारतीय नागरिक के तौर पर क्या हमें पता है कि विधेयक क्या होता है और अधिनियम क्या होता है| तो चलिए इस पोस्ट में हम विस्तार से जानते हैं अधिनियम क्या होता है और विधेयक क्या होता है
विधेयक क्या होता है – What is Bill in Hindi
अगर संसद किसी विषय पर कोई कानून बनाना चाहती है तो पहले उस कानून का मसौदा बनाकर के उसे संसद के पटल पर रखना होता है| विधेयक वही मसौदा प्रस्तावित कानून है जिसे संसद में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
एक ‘विधेयक’ को एक अधिनियम के प्रारंभिक चरण के रूप में माना जा सकता है। यह एक नया कानून बनाने का प्रस्ताव है। आमतौर पर, विधेयक एक दस्तावेज के रूप में होता है जो यह बताता है कि प्रस्तावित कानून के पीछे क्या नीति है और प्रस्तावित कानून क्या है।
एक विधेयक सरकार द्वारा स्वयं प्रस्तुत किया जा सकता है या संसद के सदस्य द्वारा प्रस्तावित किया जा सकता है। विधेयक को संसद के निचले सदन में रखा जाता है और एक बार पारित होने के बाद चर्चा के बाद, विधेयक अनुमोदन के लिए उच्च सदन में जाता है। एक बार बिल उच्च सदन द्वारा पारित हो जाने के बाद राष्ट्रपति को उसकी सहमति के लिए भेजा जाता है।
अधिनियम क्या होता है – What is Act in Hindi
संसद द्वारा पारित किए जाने से पहले एक अधिनियम को एक बिल कहा जाता है। इस अधिनियम के लागू हो जाने के बाद, यह पूरे देश या देश के कुछ क्षेत्रों पर लागू हो सकता है। एक बार जब यह अधिनियम प्रत्यारोपित हो जाता है, तो इसे किसी अन्य अधिनियम को पारित करके केवल बदला या रद्द किया जा सकता है। इसलिए, एक अधिनियम या तो एक नया कानून बना सकता है या मौजूदा कानून को बदल सकता है।
विधेयक और अधिनियम में अंतर
उदाहरण के तौर पर CAB सिटिजन अमेंडमेंट बिल या नागरिकता संशोधन बिल CAA नागरिकता संशोधन अधिनियम का प्रथम चरण था| बहुत सरल शब्दों में कहा जाए तो कोई भी अधिनियम तभी प्रभावी होता है जब उस अधिनियम से संबंधित बिल उपर्युक्त सदन से पास कर दिया जाए या दोनों सदनों से पास कर दिया जाए और राष्ट्रपति द्वारा उसे स्वीकृति देकर के भारतीय संविधान में स्थान दिया जाए| जब उस पर चर्चा होती है तो वह बिल के स्वरूप में होता है या विधेयक कहलाता है| जो प्रस्तावित होता है वह विधेयक होता है और पास होने के बाद जो पारित होता है वह अधिनियम हो जाता है|
एक और उदाहरण लेते हैं वर्ष 1992 में पंचायत से संबंधित बिल संसद में रखा गया जो अप्रैल 1993 में राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद 73वें संशोधन के थ्रू अधिनियम बना|
सरकारी परीक्षाओं में अधिनियम से संबंधित कई प्रश्न पूछे जाते हैं| दोस्तों यह की जानकारी बिल और विधेयक में अंतर के बारे में| इन दोनों के अलावा एक और Term है अध्यादेश| आगामी किसी पोस्ट में हम अध्यादेश के बारे में विस्तार से बात करेंगे कि अध्यादेश क्या होता है| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया इसे फेसबुक पर शेयर करें और लाइक करें भारतीय संविधान से संबंधित पीसीएस परीक्षा की तैयारी के लिए या समीक्षा अधिकारी परीक्षा की तैयारी के लिए हम समय-समय पर महत्वपूर्ण पोस्ट लेकर आते रहे हैं ताकि आपको सरकारी नौकरी की तैयारी और परीक्षा में से अधिक से अधिक लाभ मिल सके