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मोहिनीअट्टम- केरल की सांस्कृतिक विरासत वाला नृत्य

भारत एक विविधता वाला देश है| सदियों से भारत में सांस्कृतिक विशेषताएं भारत को विश्व में एक अलग स्थान दिलाती| नृत्य कला संगीत की तमाम विधाओं से भरा हुआ देश है भारत| उत्तर प्रदेश के कत्थक नृत्य से लेकर के केरला के भारतीय नृत्यकला मोहिनीअटट्म नृत्य तक फैली हुई है भारत की सजीवता| भगवान विष्णु को समर्पित मोहिनीअट्टम केरल की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्त्रीय नृत्य है जो कथकली से अधिक पुराना माना जाता है।

भारतीय नृत्यकला मोहिनीअटट्म का इतिहास

इतिहास मोहिनीअटट्म का प्रथम संदर्भ माजामंगलम नारायण नब्‍बूदिरी द्वारा संकल्पित व्‍यवहार माला में पाया जाता है जो 16वीं शताब्‍दी में रचा गया। नृत्‍य ताल तगानम, जगानम, धगानम, सामीश्रम | मोहिनी का अर्थ एक ऐसी महिला जो देखने वालों का मन मोह ले।

पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है यह नृत्य कला

धार्मिक मान्यता यह भगवान विष्णु की एक जानी मानी कहानी है कि जब उन्‍होंने दुग्‍ध सागर के मंथन के दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था और भस्मासुर के विनाश की कहानी इसके साथ जुड़ी हुई है।

परीक्षाओं में पूछे जाने वाली मोहिनीअटट्म नृत्य की विशेषताएं

वेशभूषा नृत्‍यांगना को केरल की सफ़ेद और सुनहरी किनारी वाली सुंदर कासावू साड़ी में सजाया जाता है।

अन्य जानकारी यह अनिवार्यत: एकल नृत्‍य है किन्‍तु वर्तमान समय में इसे समूहों में भी किया जाता है।

मोहिनीअट्टम (अंग्रेज़ी:Mohiniyattam) केरल की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्त्रीय नृत्य है जो कथकली से अधिक पुराना माना जाता है। साहित्यिक रूप से नृत्‍य के बीच मुख्‍य माना जाने वाला जादुई मोहिनीअटट्म केरल के मंदिरों में प्रमुखत: किया जाता था। यह देवदासी नृत्‍य विरासत का उत्तराधिकारी भी माना जाता है जैसे कि भरतनाट्यम, कुची पुडी और ओडिसी। इस शब्‍द मोहिनी का अर्थ है एक ऐसी महिला जो देखने वालों का मन मोह ले या उनमें इच्‍छा उत्‍पन्‍न करें। यह भगवान विष्णु की एक जानी मानी कहानी है कि जब उन्‍होंने दुग्‍ध सागर के मंथन के दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था और भस्मासुर के विनाश की कहानी इसके साथ जुड़ी हुई है। अत: यह सोचा गया है कि वैष्‍णव भक्तों ने इस नृत्‍य रूप को मोहिनीअटट्म का नाम दिया।

इतिहास

मोहिनीअटट्म का प्रथम संदर्भ माजामंगलम नारायण नब्‍बूदिरी द्वारा संकल्पित व्‍यवहार माला में पाया जाता है जो 16वीं शताब्‍दी में रचा गया। 19वीं शताब्‍दी में स्‍वाति तिरुनाल, पूर्व त्रावण कोर के राजा थे, जिन्‍होंने इस कला रूप को प्रोत्‍साहन और स्थिरीकरण देने के लिए काफ़ी प्रयास किए। स्‍वाति के पश्‍चात के समय में यद्यपि इस कला रूप में गिरावट आई।

इस नृत्य कला के उत्थान के लिए किए गए प्रयास

किसी प्रकार यह कुछ प्रांतीय जमींदारों और उच्‍च वर्गीय लोगों के भोगवादी जीवन की संतुष्टि के लिए कामवासना तक गिर गया। कवि वालाठोल ने इसे एक बार फिर नया जीवन दिया और इसे केरल कला मंडलम के माध्‍यम से एक आधुनिक स्‍थान प्रदान किया, जिसकी स्‍थापना उन्‍होंने 1903 में की थी। कलामंडलम कल्‍याणीमा, कलामंडलम की प्रथम नृत्‍य शिक्षिका थीं जो इस प्राचीन कला रूप को एक नया जीवन देने में सफल रहीं। उनके साथ कृष्‍णा पणीकर, माधवी अम्‍मा और चिन्‍नम्‍मू अम्‍मा ने इस लुप्‍त होती परम्‍परा की अंतिम कडियां जोड़ी जो कलामंडल के अनुशासन में पोषित अन्‍य आकांक्षी थीं।

भगवान विष्णु के प्रति समर्पण दिखाता है यह नृत्य

मोहिनीअटट्म की विषय वस्‍तु प्रेम तथा भगवान के प्रति समर्पण है। विष्णु या कृष्ण इसमें अधिकांशत: नायक होते हैं। इसके दर्शक उनकी अदृश्‍य उपस्थिति को देख सकते हैं जब नायिका या महिला अपने सपनों और आकांक्षाओं का विवरण गोलाकार गतियों, कोमल पद तालों और गहरी अभिव्‍यक्ति के माध्‍यम से देती है। नृत्‍यांगना धीमी और मध्‍यम गति में अभिनय के लिए पर्याप्‍त स्‍थान बनाने में सक्षम होती है और भाव प्रकट कर पाती है।

इस रूप में यह नृत्‍य भरतनाट्यम के समान लगता है। इसकी गतिविधियों ओडिसी के समान भव्‍य और इसके परिधान सादे तथा आकर्षक होते हैं। यह अनिवार्यत: एकल नृत्‍य है किन्‍तु वर्तमान समय में इसे समूहों में भी किया जाता है। मोहिनीअटट्म की परम्‍परा भरत नाट्यम के काफ़ी क़्ररीब चलती है। चोल केतु के साथ आरंभ करते हुए नृत्‍यांगना जाठीवरम, वरनम, पदम और तिलाना क्रम से करती है। वरनम में शुद्ध और अभिव्‍यक्ति वाला नृत्‍य किया जाता है, जबकि पदम में नृत्‍यांगना की अभिनय कला की प्रतिभा‍ दिखाई देती है जबकि तिलाना में उसकी तकनीकी कलाकारी का प्रदर्शन होता है।

मोहिनीअटट्म नृत्य किस भगवान के लिए समर्पित है?

भगवान विष्णु के लिए

भारतीय नृत्यकला मोहिनीअटट्म किस राज्य का नृत्य है

यह केरल राज्य का नृत्य है

मोहिनीअटट्म समूह में नृत्य किया जाता है या फिर एकल नृत्य है?

मोहिनीअटट्म एकल नृत्य है किन्‍तु वर्तमान समय में इसे समूहों में भी किया जाता है

मोहिनीअटट्म इस पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है

देवताओं तथा असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत के बंटवारे के लिए भगवान विष्णु का मोहिनी रूप स्वरूप का धारण करना

मोहिनीअट्टम नृत्य के प्रमुख कलाकार कौन-कौन से हैं?

भारतीय नृत्यकला मोहिनीअटट्म के प्रमुख कलाकारों में लीला सैमसन, पद्म सुब्रह्मण्यम, अलारमेल वल्ली, यामिनी कृष्णमूर्ति, अनिता रत्नम, मृणालिनी साराभाई,मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई, सोनल मानसिंह, वैजयंतीमाला, मल्लिका साराभाई, स्वप्न सुंदरी, रोहिंटन कामा, बाला सरस्वती आदि शामिल हैं।

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