आज कि इस पोस्ट में हम आपको भारतीय इतिहास के भक्ति आंदोलन Bhakti Movement In Indian History Important Questions for ARO/RO and PCS Exam से जुड़े हुए महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर लेकर के आए हैं| उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा समीक्षा अधिकारी परीक्षा सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भक्ति आंदोलन से संबंधित बहुत सारे प्रश्न पूछे जाते हैं
मध्यकाल में भक्ति आंदोलन: एक समग्र दृष्टिकोण
मध्यकाल में भारतीय समाज में भक्ति आंदोलन का प्रारंभ दक्षिण भारत के अलवार और नयनार संतों द्वारा किया गया था। बारहवीं शताब्दी के प्रारंभ में, रामानंद ने इस आंदोलन को दक्षिण से उत्तर भारत में फैलाया। इसके बाद चैतन्य महाप्रभु, नामदेव, तुकाराम, जयदेव जैसे संतों ने इस आंदोलन को और अधिक मुखर और प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया। भक्ति आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था – हिन्दू धर्म और समाज में सुधार, और इस्लाम तथा हिन्दू धर्म के बीच समन्वय स्थापित करना। इस आंदोलन ने अपने उद्देश्यों में काफी हद तक सफलता प्राप्त की।
भारत में भक्ति आंदोलन के उदय के कारण:
- मुस्लिम शासकों के अत्याचार: मुस्लिम शासकों के अत्याचारों और उनके बर्बर शासन के कारण हिन्दू जनता में एक प्रकार की कुंठा उत्पन्न हो गई थी। इस वातावरण में उन्होंने ईश्वर की शरण में जाकर अपनी आत्मरक्षा महसूस की और भक्ति मार्ग को अपनाया।
- हिन्दू और मुस्लिम समाज का संपर्क: हिन्दू और मुस्लिम समाज के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक संपर्क से दोनों समुदायों में सद्भावना, सहानुभूति और सहयोग की भावना का विकास हुआ। इससे भक्ति आंदोलन को भी प्रोत्साहन मिला।
- सूफी संतों का प्रभाव: सूफी संतों की उदारता, सहिष्णुता और एकेश्वरवाद में गहरी निष्ठा ने हिन्दुओं को प्रभावित किया। इसके परिणामस्वरूप हिन्दू समाज ने सूफियों की तरह एकेश्वरवाद में विश्वास किया और ऊँच-नीच तथा जातिवाद का विरोध किया।
- मूर्ति पूजा का विरोध: मुस्लिम शासकों द्वारा मूर्तियों का नाश और मंदिरों की अपवित्रता के कारण, बिना मूर्ति पूजा और बिना मंदिर के ईश्वर की उपासना के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा। इसके लिए उन्होंने भक्ति मार्ग को अपनाया।
- सामाजिक शोषण: भारतीय समाज में उस समय वर्ण व्यवस्था के कारण निचले वर्ग के लोगों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। भक्ति संतों के द्वारा दिए गए सामाजिक सौहार्द्र और समभाव के संदेश ने उन लोगों को जागरूक किया।
भक्ति आंदोलन का महत्त्व:
- कर्मकांडों से मुक्ति: भक्ति आंदोलन के संतों ने कर्मकांडों से मुक्त जीवन का आदर्श प्रस्तुत किया, जिससे ब्राह्मणों द्वारा शोषण की व्यवस्था समाप्त हो सके।
- हिन्दू-मुस्लिम एकता: कई भक्ति संतों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया, जिससे दोनों समुदायों के बीच सहिष्णुता और सद्भावना की भावना उत्पन्न हुई।
- क्षेत्रीय भाषाओं का प्रचार: भक्ति संतों ने अपनी भक्ति रचनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं का संवर्धन किया। हिंदी, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड़, बंगाली जैसी भाषाओं में उन्होंने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की, जिससे इन भाषाओं को एक नई पहचान मिली।
- जातिवाद का विरोध: भक्ति आंदोलन ने जाति-प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई, और दलित तथा निम्न वर्ग के लोगों में आत्मसम्मान की भावना जागृत की।
- समतामूलक समाज की स्थापना: भक्ति संतों ने एक समान और समतामूलक समाज की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया, जहाँ सभी को बराबरी का दर्जा मिले और कोई भी कर्मकांडों या भेदभाव का शिकार न हो।
भक्ति आंदोलन ने हिन्दू-मुस्लिम समाज के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा दिया। संतों ने अपने भक्ति मार्ग के माध्यम से समाज में समानता और भाईचारे का प्रचार किया, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव आए। भक्ति आंदोलन ने न केवल धार्मिक विचारों को प्रभावित किया, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों का भी मार्ग प्रशस्त किया। इसके द्वारा यह सिद्ध हो गया कि धर्म, जाति और सामाजिक भेदभाव से परे मानवता की सेवा और एकता में ही वास्तविक शक्ति है।
भक्ति आंदोलन से जुड़े हुए महत्वपूर्ण Facts – History Questions and Answers
Q1: बारहमासा की रचना किसने की थी?
A1: बारहमासा की रचना मलिक मोहम्मद जायसी ने की थी।
Q2: कृष्ण जीवन पर प्रेम वाटिका काव्य की रचना किसने की थी?
A2: कृष्ण जीवन पर प्रेम वाटिका काव्य की रचना रसखान ने की थी।
Q3: शेख बहाउद्दीन जकारिया किस संप्रदाय के थे?
A3: शेख बहाउद्दीन जकारिया सुहरावर्दी संप्रदाय के थे।
Q4: शेख निजामुद्दीन औलिया को क्या कहा जाता था?
A4: शेख निजामुद्दीन औलिया को महबूब ए इलाही कहा जाता था।
Q5: अमीर देहलवी को किस नाम से जाना जाता था?
A5: अमीर देहलवी को भारत का सादी कहा जाता था।
Q6: रामानंद ने अपने संदेश के प्रचार के लिए किस भाषा का प्रयोग किया था?
A6: रामानंद ने अपने संदेश के प्रचार के लिए सबसे पहले हिन्दी का प्रयोग किया था।
Q7: ‘दास बोथ’ के रचनाकार कौन थे?
A7: ‘दास बोथ’ के रचनाकार रामदास थे।
Q8: चैतन्य महाप्रभु किस संप्रदाय से संबंधित थे?
A8: चैतन्य महाप्रभु वैष्णव संप्रदाय से संबंधित थे।
Q9: तुलसीदास किस सम्राटों के समकालीन थे?
A9: तुलसीदास अकबर एवं जहांगीर के समकालीन थे।
Q10: नामदेव किस संप्रदाय के संत थे?
A10: नामदेव वरकारी संप्रदाय के संत थे।
Q11: वरकारी संप्रदाय के संस्थापक कौन थे?
A11: वरकारी संप्रदाय के संस्थापक ज्ञानेश्वर देव थे।
Q12: भक्त तुकाराम किस सम्राट के समकालीन थे?
A12: भक्त तुकाराम जहांगीर के समकालीन थे।
Q13: तुलसीदास ने कौन सी काव्य रचनाएँ की थीं?
A13: तुलसीदास ने गीतावली, कवितावली तथा विनय पत्रिका की रचना की थी।
Q14: कबीर दास का काल किस वर्ष से किस वर्ष तक का था?
A14: कबीर दास का काल 1398 से लेकर 1518 तक का था।
Q15: गुरु नानक का समय कब था?
A15: गुरु नानक का समय 1469 से लेकर 1539 के बीच का था।
Q16: चैतन्य महाप्रभु का काल कब था?
A16: चैतन्य महाप्रभु का काल 1486 से लेकर 1534 के बीच का था।
Q17: मीराबाई का समय कब था?
A17: मीराबाई का समय 1498 से लेकर 1557 के बीच का था।
Q18: सिकंदर लोदी के शासनकाल में किस धर्म की स्थापना हुई थी?
A18: सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान गुरु नानक देव ने सिख धर्म की स्थापना की।
Q19: रामानुज के अनुयायियों को क्या कहा जाता था?
A19: रामानुज के अनुयायियों को अद्वैतवाद कहा जाता है।
Q20: सुप्रसिद्ध संकरदेव किस संप्रदाय से संबंधित थे?
A20: सुप्रसिद्ध संकरदेव वैष्णव संप्रदाय से संबंधित थे।
Q21: नामदेव किस धर्म से प्रभावित थे?
A21: नामदेव इस्लाम से प्रभावित थे।
Q22: दादू दयाल का समय कब था?
A22: दादू दयाल का समय 1544 से लेकर 1603 के बीच का था।
Q23: शेख नसरुद्दीन महमूद को किस नाम से जाना जाता था?
A23: शेख नसरुद्दीन महमूद को दिल्ली के चिराग के नाम से मशहूर हुए थे।
भक्ति आंदोलन से जुड़े 10 महत्वपूर्ण प्रश्न निम्नलिखित हैं: Bhakti Movement In Indian History Important 10 Questions for ARO/RO and PCS Exam
- भक्ति आंदोलन की शुरुआत किसने की और यह कहाँ से प्रारंभ हुआ?
- भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण भारत के अलवार और नयनार संतों द्वारा की गई थी। रामानंद ने इसे दक्षिण से उत्तर भारत में फैलाया।
- भक्ति आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- भक्ति आंदोलन का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म और समाज में सुधार करना और हिन्दू तथा इस्लाम धर्म के बीच समन्वय स्थापित करना था।
- भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत कौन थे?
- भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में रामानंद, चैतन्य महाप्रभु, नामदेव, तुकाराम, जयदेव, कबीर, सूरदास, दीनानाथ आदि शामिल हैं।
- भक्ति आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?
- मुस्लिम शासकों के अत्याचार, हिन्दू और मुस्लिम समाज के बीच सांस्कृतिक संपर्क, सूफी संतों का प्रभाव, जातिवाद और कर्मकांडों का विरोध आदि भक्ति आंदोलन के प्रमुख कारण थे।
- भक्ति आंदोलन के क्या सामाजिक और धार्मिक प्रभाव थे?
- भक्ति आंदोलन ने कर्मकांडों से मुक्त जीवन का आदर्श प्रस्तुत किया, जातिवाद का विरोध किया, हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया और समाज में समता एवं भाईचारे का प्रचार किया।
- सूफी संतों का भक्ति आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- सूफी संतों की एकेश्वरवाद में निष्ठा और सहिष्णुता ने हिन्दू समाज को प्रभावित किया। इससे हिन्दू और मुस्लिम समाज के बीच संवाद और सहयोग बढ़ा।
- भक्ति संतों ने भारतीय भाषाओं को कैसे प्रभावित किया?
- भक्ति संतों ने अपनी भक्ति रचनाओं के माध्यम से हिंदी, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड़, बंगाली जैसी क्षेत्रीय भाषाओं का संवर्धन किया और उन्हें समृद्ध किया।
- भक्ति आंदोलन के परिणामस्वरूप समाज में किस प्रकार के परिवर्तन आए?
- भक्ति आंदोलन ने समाज में जातिवाद, भेदभाव और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, और एक समतामूलक समाज की स्थापना की दिशा में कदम बढ़ाए। इसके परिणामस्वरूप दलितों और निम्न वर्ग के लोगों में आत्मसम्मान की भावना जागी।
- भक्ति आंदोलन में कबीर की भूमिका क्या थी?
- कबीर ने हिन्दू और मुस्लिम धर्म के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की। उन्होंने एकेश्वरवाद, भक्ति और समाज में समानता की बातें कीं और रूढ़िवादी धार्मिक परंपराओं पर प्रहार किया।
- भक्ति आंदोलन का प्रभाव किस प्रकार से मध्यकालीन भारत की राजनीति और समाज पर पड़ा?
- भक्ति आंदोलन ने मध्यकालीन भारत में राजनीति और समाज में एकता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक सुधार की दिशा में योगदान दिया। इसने समाज के विभिन्न वर्गों को जागरूक किया और उनकी आवाज़ को मुखर किया।
इन प्रश्नों के माध्यम से आप भक्ति आंदोलन की ऐतिहासिक, सामाजिक और धार्मिक महत्वता को समझ सकते हैं।
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